कन्वर्ट, लीव ऑर डाय!
द कश्मीर फाइल्स आज टोरंटो, कैनेडा के यॉर्क सिनेमा हॉल में देखी। इतने वर्षों में पहली बार यह अनुभव हुआ कि हॉल में बैठे सभी लोग एक साथ एक ही अंतरात्मा की तरह फ़िल्म के हर दृश्य को अनुभव कर रहे है। सभी की प्रतिक्रियाएँ एक साथ हो रही थी, चाहे तालियाँ बजाना, चुप हो जाना, रोना और रोते हुए एक दूसरे को पानी देना, भारत माता की जय के नारे लगाना इत्यादि। इस फ़िल्म का उद्देश्य था सच बताना जो बहुत सफलतापूर्वक सम्पूर्ण हुआ है। यह फ़िल्म न सिर्फ हम सभी भारतीयों और भारतीय मूल के निवासियों को बल्कि विश्व के सभी लोगों को अवश्य देखनी चाहिए और सत्य से अवगत होना चाहिए। जैसे जर्मनी के एक जेनोसाइड के बारे में हम सब को पता है, वैसे जेनोसाइड्स कश्मीर में सात बार हो चुके हैं जिसके बारे में बहुतों को नही पता है। हालांकि सुनने में आया है कि सेंसर बोर्ड ने काफी चीज़ें सेंसर कराई हैं फ़िल्म में फिर भी विवेक अग्निहोत्री जी और उनके टीम ने जिस निडरता से सत्य सबके सामने रखा है वह अत्यंत प्रशंसनीय है। बहुत बहुत धन्यवाद आपको और आपकी टीम को विवेक अग्निहोत्री जी, हम सबको सत्य से अवगत कराने के लिए 🙏
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